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FEATURE IMPACT तम्बाखू से दूरी हर खिलाड़ी के लिए जरूरी
AWARENESS MESSAGE ON WORLD NO TOBACCO DAY..
ARTICLE BY DR. RAJNISH PANDEY, STROKE NEUROLOGY, DIRECTOR PRATHAM & AARADHYA HOSPITAL BILASPUR
विश्व भर में, तंबाकू के बढ़ते उपयोग और इसके खिलाड़ियों एवं आम लोगो के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव चिंता का कारण बन गये हैं। गैर-संचारी रोग (एनसीडी) जैसे कि आकस्मिक हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, पुरानी सांस की बीमारियां इत्यादि विश्व स्तर पर होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण हैं, जो कि तंबाकू के सेवन के साथ जुड़ी हैं।
डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित डेटा के अनुसार, विश्व में प्रति वर्ष 38 लाख लोग एनसीडी से मर जाते हैं तथा निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 85 प्रतिशत लोग एनसीडी से मर जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2010 में एनसीडी से होने वाली मृत्यु की संख्या का अनुमान 53 प्रतिशत हैं। इन मौतों में से भारत में होने वाली मौतों का सामान्य कारण हृदय रोग और मधुमेह हैं।
एनसीडी के अत्यधिक बोझ को तंबाकू के उपयोग को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सभी आयु वर्ग के लोगों को बहुत सारी बीमारियों से प्रभावित करने वाला मुख्य जोखिम का कारण तंबाकू हैं। डब्ल्यूएचओ डेटा द्वारा यह स्पष्ट होता है कि तंबाकू का सेवन करने वाले लगभग छह लाख लोगों की मृत्यु प्रतिवर्ष होती हैं। इन मौतों के परिणामस्वरूप लगभग पांच लाख मौतों का प्रत्यक्ष कारण तंबाकू का सेवन हैं, जबकि अप्रत्यक्ष तंबाकू के सेवन के परिणामस्वरूप 60 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
भारत की स्थिति तम्बाखू सेवन के सम्बन्ध में..
भारत में स्थिति सामान्य रूप से बुरी या गंभीर हैं। यहाँ पर तंबाकू के उपयोगकर्ताओं की अनुमानित संख्या 27.49 करोड़ हैं, जहाँ पर तंबाकू के धूम्रमुक्त उपयोगकर्ताओं की संख्या 16.37 करोड़ और तंबाकू पीने (धूम्रपान) वालों की संख्या केवल 6.89 करोड़ तथा ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार धूम्रपान और धूम्रमुक्त उपयोगकर्ताओं की संख्या 42.3 करोड़ हैं। इसका मतलब यह हैं कि भारत में लगभग 35 प्रतिशत के आसपास वयस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं।
तम्बाखू की संरचना
तंबाकू की लगभग 65 तरह की किस्म बोयी जाती है, जिनसे व्यावसायिक तौर पर अधिकांशत: “निकोटिना टुवैकम” उगाया जाता है। उत्तरी भारत और अफगानिस्तान से आने वाला अधिकांशत: तंबाकू ‘निकोटिना रस्टिका किस्म का होता है। तंबाकू में मौजूद निकोटीन का सबसे शक्तिशाली प्रभाव व्यवहार पर पड़ता है। यह जहरीला पदार्थ नशे को पैदा करता है। निकोटीन, तंबाकू का सेवन करने वालों के व्यवहार को प्रभावित करता हैं तथा प्रभावित व्यवहार को और अधिक सुदृढ़ बनाता हैं।
तम्बाखू सेवन से प्रभाव
तंबाकू पीने (धूम्रपान) के कारण और इसके अवशोषण के बाद, निकोटीन तेज़ी से मस्तिष्क में पहुंचता हैं तथा सेकंड के बाद, तुरंत मनोवैज्ञानिक गतिविधियाँ सक्रिय हो जाती हैं। इसके बाद यह स्थितियां और अत्यधिक प्रबल हो जाती हैं। निकोटीन मस्तिष्क में रिसेप्टर्स को बांधता हैं, जहां पर यह मस्तिष्क के चयापचय को प्रभावित करता है। निकोटीन अधिकतर पूरे शरीर, कंकाल मांसपेशियों में वितरित हो जाता है। व्यक्ति में नशे की अन्य आदतों वाले पदार्थों द्वारा गतिविधियों में सहनशीलता विकसित होती हैं। कार्बन मोनो ऑक्साइड रक्त में लेकर जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता हैं। यह सांस लेने में तकलीफ़ का कारण बनता है।
तम्बाखू के दुष्प्रभाव
तम्बाकू के दुष्प्रभाव तो असीमित है। आम लोगो के साथ साथ यह खिलाड़ियों के लिए भी अत्यंत हानिकारक है खिलाड़ियों को सदैव अपने फिटनेस पर ध्यान देना होता है एवं तत्काल फिट होंने की होड़ में वे धूम्रपान जैसे आदतों का शिकार हो जाते हैं। जिसका परिणाम उन्हें अपने करियर में स्पष्ट दिखाई देने लगता है।
1.) तंबाकू का सेवन श्वसन तंत्र के कैंसर, फेफड़े, संपूर्ण ऊपरी जठरांत्र संबंधी, यकृत (लीवर), अग्न्याशय, गुर्दा, मूत्राशय, मौखिक कैविटी (गुहा), नाक कैविटी (गुहा), गर्भाशय ग्रीवा, आदि से समस्याओं से जुड़ा होता हैं। धुंआ रहित तंबाकू मौखिक कैविटी (गुहा) के कैंसर का प्रमुख कारण है।
2.) तंबाकू, हृदय की कोरोनरी वाहिकाओं को प्रभावित करता है, जिसकी वज़ह से प्रमुखत: हृदय में रक्त की आपूर्ति में कमी हो जाती हैं अथवा हृदय की मांसपेशियां समाप्त हो सकती हैं, जिसे इस्कीमिक या कोरोनरी हृदय रोग के नाम से जाना जाता है।
3.) यह हृदय में खिंचाव का कारण बनता है। धूम्रपान करने से उच्च कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप द्वारा कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) जैसी बीमारियों के ज़ोखिम का खतरा बढ़ जाता है।
4.) अस्थमा: धूम्रपान अस्थमा के तीव्र हमलों के साथ जुड़ा है।
तम्बाखू से बचाव
1.) मनोवैज्ञानिक शिक्षा, तंबाकू के मानव शरीर पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। निकोटीन के सेवन के कारण होने वाले परिवर्तन के बारे में उपयोगकर्ता को सूचित करें और उनसे चर्चा करें। इसके द्वारा रोगी को सुधारात्मक पद्धति स्वीकार करने में सहायता मिलती है।
2.) घृणा चिकित्सा के माध्यम से रोगी को बिजली के झटको के साथ अरुचिकर काल्पनिक चित्रों के विचार आते हैं अथवा रोगी धूम्रपान करते समय अरुचिकर भाव पैदा करता हैं। इस तकनीकों का उपयोग सिगरेट और सिगरेट के धुएं की प्रभावी प्रतिक्रियाओं के प्रति घृणा जैसे कि अरुचि, घृणा, भय, अथवा नाराज़गी पैदा करवाने के लिए किया जाता है। इस तरह की प्रतिक्रियाएं धूम्रपान कम करने को प्रोत्साहन देती है।
3.) धूम्रपान करने वाले पति-पत्नी दोनों को धूम्रपान छोड़ने वाले कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए ताकि उन्हें धूम्रपान छोड़ने वाले कार्यक्रम के माध्यम से धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा सकें।
4) जिन्होंने हाल ही में तंबाकू का सेवन छोड़ने का सफ़ल प्रयास किया हैं, उन्हें बीमारी के पुनरावर्तन की रोकथाम के लिए उपचार प्रदान किए जाने की ज़रूरत होती है।
5.) सभी सार्वजनिक स्थानों जैसे कि होटल, रेस्तरां, कॉफी हाउस, पब, बार और हवाई अड्डे के प्रतीक्षालयों तथा आम जनता द्वारा उपयोग किए जाने वाले कार्यस्थलों, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल, शैक्षिक संस्थानों और पुस्तकालयों, अस्पतालों और सभागार व खुले सभागार, मनोरंजन केन्द्रों, स्टेडियम, रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप आदि पर धूम्रपान पूर्णतः निषेध/वर्जित होना चाहिए।
तंबाकू से होने वाले घातक नुक़सान को देखते हुए साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके द्वारा 7 अप्रैल, 1988 से इस दिवस को मनाने का फ़ैसला किया गया। इसके बाद हर 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस मनाने का फ़ैसला किया गया। तत्पश्चात हर साल 31 मई को तंबाकू सेवन को बंद करने के लिए लोगों के अंदर जागरूकता फ़ैलाने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता रहा है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को तंबाकू से होने वाले स्वस्थ्य नुकसान के विषय में सचेत करना है।