छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी बिना सुविधाएं और साधन के राष्ट्रीय स्तर पर कर रहे है बेहतर प्रदर्शन
सुविधाओं में विस्तार की बेहद जरूरत
- SPECIAL GUEST COLUMNIST डॉ राजेश जंघेल, सचिव छत्तीसगढ़ प्रदेश वेटलिफ्टिंग संघ
वेटलिफ्टिंग, कुश्ती, बॉक्सिंग, और एथलेटिक्स जैसे विभिन्न खेलो में हमारे खिलाड़ी अपना दमखम दिखा रहे है. प्रदेश में ज्यादातर निम्न आय एवं गरीब वर्ग के खिलाड़ी शामिल है. जो न तो अपने लिए जूता खरीद पाते है ना ही खेल पोशाक और तो और अपने लिए सही मात्रा में खुराक (पौष्टिक आहार) की व्यवस्था तक नहीं कर पाते है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश के खिलाड़ियों को थोड़ा सहारा मिलता था केंद्र से रेलवे टिकट किराया में 50-70% तक मिलने वाली छूट से जो पिछले 3 सालो से बंद कर दिया गया है।आपातकालीन अवस्था में टिकट उपलब्ध ना होने के कारण वेटिंग लिस्ट का टिकट लेकर बाथरूम के किनारे और नीचे ज़मीन में बैठ कर सफर करना पड़ता है ऐसे में खिलाडियों के लिए 3AC में यात्रा करने एवं विशेष खेल आरक्षित बोगी की सुविधा प्रदान करना चाहिए.
राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए यात्रा के दौरान भोजन के लिए जेब में पैसे कम होने के कारण एक टाइम का भोजन करके आयोजन स्थल तक पहुंचते है ऐसे में कम से कम रुपए 500/- प्रति दिन के दर से यात्रा भत्ता/दैनिक भत्ता मिलना चाहिए।
बहुत से होनहार खिलाड़ी मेडिकल सुविधा न होने की वजह से खेल अभ्यास के दौरान चोटिल होने के पश्चात इलाज के लिए पैसा नही होने के कारण खेल को ही अलविदा कह देते है. ऐसे में प्रदेश स्तर में प्रत्येक खिलाड़ी प्रति वर्ष जो राष्ट्रीय स्तर में अपने प्रदेश का प्राधिनिधित्व करते है उन्हें कम से कम रुपए 5 लाख तक की मेडिकल इंश्योरेंस देने का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि कई राज्यो मे आज भी ऐसे केंद्र या हॉस्पिटल नही है जहां स्पोर्ट्स इंज्यूरी का रिहैबिलिटेशन हो सके मेडिकल इंश्योरेंस होने पर हमारे गरीब खिलाड़ी देश के किसी भी हॉस्पिटल में अपना इलाज करवा सकते है .
भारत सरकार खेल एवं युवा मामले से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल फेडरेशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले संपूर्ण राज्य के खिलाड़ियों को एक जैसा ट्रैकशूट मिलना चाहिए ताकि हर बच्चा चाहे गरीब हो या अमीर सब एक जैसे पोशाक में अपने खेल प्रतियोगिता में भाग ले।
छत्तीसगढ़ में भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2010 में वेटलिफ्टिंग खेल का गैर आवासीय साई ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की गई थी जो केवल 2 वर्ष तक ही चल पाया क्योंकि भारतीय खेल प्राधिकरण के रायपुर में पदस्थ तत्कालीन वेटलिफ्टिंग कोच श्री गजेन्द्र पांडे जी का स्थानांतरण कोलकाता होने के पश्चात यहां अन्य कोई कोच नही थे। उक्त सेंटर के अंतर्गत भारतीय खेल प्राधिकरण के नियमानुसार 13 से 19 वर्ष तक के बच्चो को निशुल्क वेटलिफ्टिंग खेल का प्रशिक्षण, स्कूल की शिक्षा से लेकर प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ता का देने का प्रावधान था। वर्तमान में प्रदेश में एक भी केंद्र या राज्य शासन द्वारा संचालित वेटलिफ्टिंग अकादमी एक भी नही है।
खेलो इंडिया स्कीम के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा एक आवासीय अकादमी (छात्रावास) के साथ आधुनिक खेल उपकरण खिलाड़ियों को निशुल्क शिक्षा, डाइट (भोजन) एवं प्रशिक्षण तथा खेल प्रतियोगिता हेतु यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ता और साथ ही चिकित्सा सुविधा देने का प्रावधान। उपरोक्त में दर्शाए सभी सुविधाओं से छत्तीसगढ़ के वेटलिफ्टर लाभ लेने से वंचित है।
यदि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक वेटलिफ्टिंग खेलो इंडिया सेंटर की शुरुवात होती है तो छत्तीसगढ़ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पदक जीतने में कामयाब रहेंगे।