शेन वार्न के अकस्मात निधन से दुखी है खेल जगत
विश्व के धाकड़ गेंदबाज शेन वार्न के अकस्मात् निधन से सम्पूर्ण खेल जगत स्तब्ध है। शेन वार्न ऐसे गेंदबाज रहे जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया जैसे देश जहा पर फ़ास्ट और मध्यम पेस बॉलर का हमेशा दबदबा रहा है उनके बीच में उन्होंने अपने कलाइयों के सहारे एक ही एक्शन में लेग ब्रेक, फ्लिपर, और गूगली के मिश्रण से गेंद फेका करते थे। वार्न ने १००० से ज्यादा विकेट वन डे और टेस्ट को मिलकर चटकाए और अपने दौर के लगभग सभी बल्लेबाजों को अपनी घूमती गेंदों से चौकते रहे। वार्न का जाना सभी क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक बहुत ही शोक का दिन है। सीएससीएस के कोषाध्यक्ष और पूर्व क्रिकेटर मुकुल तिवारी से जब हमने शेन वार्न के सम्बन्ध में जानना चाहा और बात किये तो उन्होंने कहा की वार्न सभी क्रिकेटर के लिए एक इंस्पिरेशनल थे और खास तौर पर उन खिलाड़ियों के लिए जो लेग ब्रेक गेंदबाज़ी करते थे उनके लिए वार्न एक प्रकार से स्कुल के जैसे थे जिनसे बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला। श्री तिवारी ने आगे जोड़ते हुए कहा की वार्न मैच फिनिशर थे, उन्हें गेंदबाज़ी का कम मौका मिलता था उसका कारण था तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई टीम में वर्ल्ड क्लास फ़ास्ट बॉलर होते थे जो अपनी तेज़ी और सटीकता से शुरूआती सफलता दिला देते थे। वार्न उन गेंदबाज़ो के बीच में अपनी ऐसी पहचान बनाने में सफल हुए जो की एक कीर्तिमान है। श्री तिवारी ने कहा की यदि वार्न सब कांटिनेंट से खेल रहे होते जहा टर्निंग पिचेस मिलते है ऐसे में उनके रिकॉर्ड में विकेटों की झड़ी होती। आज की युवा पीढ़ी भी वार्न को फॉलो करती है। फ्लिपर का इज़ाद भी शेन वार्न को ही जाता है। श्री तिवारी ने हमसे जानकारी साझा करते हुए कहा की १९९३ की एस्सेज़ सीरीज में जो गेंद इंग्लैंड के माइक को डाले थे जिसमे की गेंद ने १८० डिग्री का टर्न लिया था उसे बॉल ऑफ़ सेंचुरी का नाम दिया गया था। १९९२ में डेब्यू किये शेन वार्न ५२ की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। ज्ञात हो की आईपीएल के पहले सीजन में उन्होंने राजस्थान रॉयल्स को चैंपियन बनाया था।