शहर से इज़ाद खेल स्टैंड बॉल
छत्तीसगढ़ के खेल विभूति सम्मान से सम्मानित स्वर्गीय हिदयात अली आल राउंडर खिलाड़ी रहे है। वॉलीबॉल शतरंज और एथेलेटिक्स के शानदार खिलाड़ी होने के साथ ही स्वर्गीय अली साहित्यकार भी रहे है। १५ से ज्यादा पुस्तक लिख चुके हिदायत अली बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। स्वर्गीय अली की खेल और खिलाड़ियों से जुड़ाव की परंपरा को निभाते हुए उनके बेटे जावेद अली जो की शहर के बर्जेस स्कूल में स्पोर्ट्स अफसर है, उनसे हाल ही में हुए बातचीत में उन्होंने बताया की स्वर्गीय अली ने १९८४ में तत्कालीन प्रिंसिपल रहे शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बिलासपुर के स्वर्गीय एसी राव की प्रेरणा से एक नए खेल को जन्म दिया था। खेल को खेलने की पूर्ण पाण्डुलिपि को स्वर्गीय अली ने तैयार किया था जो की आज सम्पूर्ण पुस्तक के रूप में खेल के नियमो के साथ उपलब्ध है। जावेद अली ने बताया की इस खेल को स्टैंड बॉल कहा जाता है। स्टैंड बॉल का पहला प्रदर्शन ८ अगस्त २००८ को तत्कालीन महापौर रहे स्वर्गीय अशोक पिंगले तथा शहर के अन्य गणमान्य लोगो के सामने खिलाड़ियों द्वारा प्रदर्शित किया गया था। स्टॅण्डबॉल एसोसिएशन के जनरल सेकेरेट्री जावेद अली से जब हमने खेल की प्रक्रिया और नियम के सम्बन्ध में जानना चाहा तो उन्होंने बताया की इस खेल में प्रारम्भ में ९ खिलाड़ी एक टीम में होते थे बाद में इसे ७ लोगो की एक टीम में परिवर्तित किया गया। स्टैंड बॉल में बीच में एक स्टैंड होता है जिसमे ऊपर के हिस्से में बॉल को डालने के लिए नेट रहता है। जावेद अली ने आगे जोड़ते हुए कहा की इसमें मैदान का आकर वृत्ताकार होता है और गेंद को ५ मीटर के दुरी से स्टैंड में डालना होता है। दोनों पक्षों के खिलाड़ी ५ मीटर की घेरे से बहार १५ मीटर का एक और घेरा होता है जिसमे उन्हें विपक्षी टीम से बॉल को ड्रिबलिंग करते हुए ५ मीटर की दुरी से स्टैंड में डालना होता है। ५ मीटर के घेरे को यदि कोई भी खिलाड़ी लांघता है तो उसे फाउल करार दिया जाता है। जिस १५ मीटर के दायरे में खिलाड़ी खेलते है यदि वहां से गेंद बहार जाता है तो तीन स्टार्टिंग स्पॉट मैदान में होता है जहा से फिर से खेल की शुरुआत होती है। जावेद अली से जब हमने इस खेल के मान्यता आदि के सम्बन्ध में विस्तार से जानना चाहा तो उन्होंने बताया की स्टैंड बॉल को छत्तीसगढ़ शासन की फर्म और सोसाइटी में रजिस्टर्ड कराया गया है लेकिन अभी राष्ट्रीय स्तर पर पंजीयन नहीं हो पाया है। जावेद अली का प्रयास है की स्टैंड बॉल को भी राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले जिसके लिए प्रतिवर्ष ७ अप्रैल जिस दिन स्वर्गीय हिदायत अली का जन्मदिन भी है उन्ही की याद एवं स्मृति में स्टैंड बॉल प्रतियोगिता का आयोजन भी कराते आ रहे है। जीडी सी कॉलेज के ग्राउंड में स्टॅण्डबॉल खेला जाता है। ओलिंपिक संघ और एसजीएफआई से मान्यता के लिए जावेद अली पूरा प्रयास कर रहे है। स्टैंडबॉल में कोचिंग के सम्बन्ध में जावेद अली ने बताया की महिलाओ के प्रशिक्षण के लिए कोच है पुरुष वर्ग को जावेद अली स्वयं ट्रेनिंग देते है। शहर के विशुद्ध खेल को समर्पित रहे स्वर्गीय हिदायत अली द्वारा तैयार इस खेल को थोड़े सामूहिक प्रयास की जरूरत है जिससे हमारे शहर से निकले खेल को देश दुनिया में खेला और पसंद किया जाये।
Good sir new game k liy