खिलाड़ियों की तैयारी में प्रमुख भूमिका निभाते स्पोर्ट्स फिजियो
खेल में प्रत्येक खिलाड़ियों को इंज्युरी से दो चार होना पड़ता है, जो भी खिलाड़ी अपने इंज्युरी को सही से केयर करते हुए फिटनेस लेवल को बनाये रखने में सफल होते है वो लम्बे वक़्त तक खेल सकते है। पीजी डिप्लोमा ऑन फील्ड स्पोर्ट्स इंज्युरी मैनेजमेंट, चेन्नई तथा वर्तमान में कंसलटेंट फिजियो संजीवनी हॉस्पिटल बिलासपुर की डॉक्टर मार्टिना जॉन से जब हमारी बात खेल में फिजियो कि भूमिका और खिलाड़ियों को इंज्युरी से बचने के उपाय के सम्बन्ध में हुई तो उन्होंने बताया कि फिजियो कि भूमिका खिलाड़ी के चोट लगने के उपरांत नहीं बल्कि यदि शुरुआत से प्रत्येक खेल में खिलाड़ी फिजियो के इंस्ट्रक्शंस को फॉलो करे तो कई गंभीर मांसपेशियों कि तकलीफ को शुरुआत से ही जरूरी स्ट्रेचिंग और एक्ससरसाइज से ट्रीट करके सही किया जा सकता है। ऑर्थोपेडिक्स में मास्टर डॉक्टर मार्टिना ने कहा कि खेल में काफी कम उम्र से बच्चे खेलना शुरू करते है। शुरुआत में जब किसी खेल को कोई बच्चा चुनता है उस समय बच्चे की मांसपेशिया किसी निश्चित खेल के सम्बन्ध में कितनी प्रभावशाली है या सरल शब्दों में क्या उनका बॉडी उनके खेल को अपनाने के लिए तैयार है, उसमे स्पोर्ट्स फिजियो साइंटिफिक गाइडेंस देते है। डॉक्टर जॉन ने बताया की बच्चो की मस्सल्स टेस्ट किया जाता है , जिसमे उनके शरीर की शक्ति, धैर्य, और ताकत की जांच की जाती है। ० से ५ की रेटिंग्स के आधार पर ग्रेविटी के विपरीत जितना वजन बच्चो का मस्सल्स उठा कर होल्ड कर सकते है उसके हिसाब से रेटिंग की जाती है। डॉक्टर मार्टिना कहती है की सामान्यता यह माना जाता है की ४ से अधिक की रेटिंग्स हासिल करने वाले बच्चो की मांसपेशिया खेल के अनुरूप होता है। हर खेल में शरीर का अलग अलग बॉडी पार्ट्स कुछ ज्यादा यूज़ होता है, डॉक्टर मार्टिना ने आगे जोड़ते हुए कहा की ऐसे में खिलाड़ी के खेल के अनुरूप स्ट्रेचिंग की सलाह दी जाती है। प्रत्येक स्ट्रेचिंग तकनीक में खिलाड़ी को ३० सेकंड तक होल्ड करने की सलाह दिया जाता है। स्ट्रेचिंग और वार्मअप से बॉडी खेल के अनुसार मांसपेशियों को एक्टिव कर देता है जिससे खिलाड़ी खेल में अपना सौ प्रतिशत एफर्ट लगा सकते है। डॉक्टर मार्टिना ने हमसे बात करते हुए बताया की खिलाड़ी के लगातार मैदान में प्रैक्टिस करने से उनको बहुत ज्यादा पसीना आता है जिससे बॉडी का फाइबर ब्रेकडाउन हो सकता है ऐसे में लगातार पानी पीने की सलाह फिजियो देते है साथ ही उन्हें अपनी डाइट में प्रोटीन और कैल्शियम को सही मात्रा में लिए जाने की सलाह भी दिया जाता है। प्रोटीन की सही मात्रा खिलड़ियों के लिए बहुत जरूरी है जो की उनके शरीर को अंदर से रिपेयर करता रहता है। खेल में खिलाड़ी साइकोलॉजिकल प्रेशर से भी गुजरते है जिसमे उनके परफॉरमेंस, कंसिस्टेंसी और फॉर्म को लेकर दबाव होता है। डॉक्टर कहती है की ऐसे स्ट्रेस से हर लेवल पर बचना जरूरी होता है जिसमे फिजियो खिलाड़ियों को ग्रुप थेरेपी, बिहैवियर थेरेपी से उन्हें फोकस्सड करते है जो खिलाड़ी को ऑन द फील्ड परफॉर्म करने में बहुत मदद करता है। बच्चे जब अपने स्पोर्टिंग करियर की शुरुआत करते है तो पेरेंट्स की बहुत उम्मीदे होती है लेकिन डॉक्टर मार्टिना कहती है की खेल में हर खिलाड़ी अपना एफर्ट बॉडी के हिसाब से लगाता है यदि बहुत ज्यादा दबाव उन पर परफॉरमेंस को लेकर होगा तो उन्हें न केवल मांसपेशियों में दिक्कत आएगी बल्कि उनके परफॉरमेंस भी प्रभावित होगा। पेरेंट्स को बच्चो के स्किल और ताकत के हिसाब से बूस्ट करना चाहिए जो की उनके हार्मोन्स को पॉजिटिव एनर्जी देगा और वो अपनी लिमिटेशन में अपना सर्वाधिक दे पाएंगे। फिजियो सही फुटवियर पहनने की भी सलाह देते है जिससे उनके पैरो की हड्डिया की पोजिशनिंग सही रहे। न्यूट्रिशनल डाइट की सलाह देते हुए डॉक्टर मार्टिना कहती है की खेल के अनुरूप डाइट चार्ट मेन्टेन करना जरूरी होता है इसके लिए स्पेशलिस्ट न्यूट्रेनिस्ट और डायटीशियन की सलाह लेना चाहिए। खिलाड़ियों को प्रयाप्त नींद लेने की सलाह भी डॉक्टर देते हुए कहती है की सही नींद के दौरान बॉडी को रिपेयर होने का वक़्त मिल जाता है जिससे उनकी फिटनेस लेवल बनी रहती है। फिजियो ग्राउंड के हिसाब से बॉडी पर वर्किंग करते है जिससे खिलाड़ियों में कम से कम इंजरी हो सके और उनका खेल भी निखरता रहे। डॉक्टर मार्टिना से जब हमने जानना चाहा की किस प्रकार की इंजरी खिलाड़ियों में ज्यादा देखने को मिलती है तो उन्होंने बताया की घुटने, पीठ, शोल्डर और एंकल की मांसपेशियों में सबसे ज्यादा दिक्कत आता है। ज्यादातर खिलाड़ी मांस पेशियों के दर्द में बर्फ से सेंकाई करते है जबकि उन्हें प्रॉपर फिजियो की सलाह पर रेस्ट लेते हुए अपनी इंजरी को रिकवर करने के बाद ही मैदान पर उतरने की सलाह डॉक्टर मार्टिना देती है। फिजियो साइंटिफिक तरीके से खिलाड़ियों को प्रत्येक कंडीशन के अनुसार ढलने और खेलने में मदद करते है। फिजियो खिलाड़िओ की वो ढाल है जो उनको हमेशा मैदान में अपना १०० फीसदी देने में सहयक बने रहते है।