रणजी ट्रॉफी का मेजबान बन चूका शहर का ये मैदान
शहर के हृदयस्थल में स्थित राजा रघुराज सिंह स्टेडियम खेल और खिलाड़ियों के कई यादो और बेहतरीन खेल का गवाह रहा है। पंडरिया के राजा रघुराज सिंह ने इस मैदान को दान में दिया था जिसके कारण उन्ही के नाम से इस मैदान का नाम रखा गया है। १९५९ से यह मैदान खेलो की मेजबानी करते आ रहा है। फिजिकल कल्चर सोसाइटी जिसके पदेन अध्यक्ष कलेक्टर होते है एवं सचिव नगर निगम आयुक्त रहते है की देखरेख में यह मैदान संचालित है। राजा रघुराज सिंह स्टेडियम कई महत्वपूर्ण मुकाबलों का मेजबान बन चूका है जिनमे १९७८ से ८० के बीच तीन रणजी ट्रॉफी, १९८१ में फुटबॉल की संतोष ट्रॉफी और २००३-०४ में बीसीसीआई द्वारा अंडर १९ कुछ बिहार ट्रॉफी प्रमुख है। शहर के इस मैदान में कई अंतरास्ट्रीय स्तर के क्रिकेटरों ने अपने खेल का जलवा बिखेरा है जिनमे विजय दहिया , राजेश चौहान जैसे खिलाड़ियों का नाम शामिल है। 3 से ५ हज़ार तक लोगो के बैठने की क्षमता के साथ शहर का यह मैदान आज भी खिलाड़ियों के खेलने के लिए पसंदीदा जगहों में से एक है। स्टेडियम में क्रिकेट के लगभग साल भर विभिन्न क्लबों और संस्थाओ द्वारा आयोजित क्रिकेट की प्रतियोगिताएं होती रहती है। बिलासपुर क्रिकेट संघ के ओपन के ट्रायल्स भी इसी मैदान में ही होते है। ३ टर्फ पिचेस स्टेडियम में खेलने के लिए उपलब्ध है। ग्राउंड की देख रेख एवं प्रबंधन के लिए तीन ग्राउंड्समैन एक क्यूरेटर और इंचार्ज है। ग्राउंड में बने इंडोर रूम में ज़ुम्बा , बैडमिंटन और योगा की ट्रेनिंग अलग अलग ट्रेनर्स द्वारा दिया जाता है जो मौजूदा समय में कोरोना की वजह से बंद रखा गया है। मैदान में पिच को बारिश से ढकने के लिए कवर की सुविधा है लेकिन मैकेनिकल रोलर के न होने से पिच को आज भी मैन्युअली रोलर से रोल किया जाता है। मैदान को बीसीसीआई की ग्राउंड्स इंस्पेक्शन टीम ने भी बोर्ड मैचेस के लिए इंस्पेक्शन कर चुके है। मैदान के आधुनिकीकरण के लिए और यदि प्रयास किया जाये तो यह खेल और खिलाड़ियों के लिए आने वाले कई वर्षो तक बेहतरीन सेवा दे सकता है।