फुटबॉल की नर्सरी से निकलते नेशनल प्लेयर्स
बिलासपुर में फुटबॉल की नर्सरी के रूप में जाना जाता है रेलवे अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल। फुटबॉल में कइयों खिलाड़ी नेशनल स्तर के सम्मानित प्रतियोगिताओ में अपने खेल का जौहर दिखा चुके खिलाड़ियों ने प्रारंभिक फुटबॉल की ट्रेनिंग कोच देबानंद चटर्जी से हासिल किया है। २०१० से फुटबॉल की कोचिंग दे रहे श्री चटर्जी एआईएफएफ के तहत ग्रास रुट तथा डी लेवल लाइसेंस होल्डर कोच है। प्रतिदिन बच्चो को 1.30 घंटे प्रैक्टिस कराने वाले श्री चटर्जी कोरोना की वजह से प्रैक्टिस नहीं करवा पाने से बेहद निराश है। १० वर्ष से ऊपर के बच्चो को ट्रेनिंग देते श्री चटर्जी का मानना है की आगामी समय में जैसे ही प्रैक्टिस की अनुमति मिलेगा ७ वर्ष के बच्चो के उम्र से नियमित अभ्यास कराऊंगा। फुटबॉल में जितने कम उम्र से बच्चे खेलने के लिए आएंगे उतना ही उनके खेल में निखार लाने में ज्यादा समय एवं मौका मिलेगा। सीनियर नेशनल में आज तक खेल चुके कोच चटर्जी के कोचिंग से निकले बच्चो में ७ खिलाड़ी, एसजीएफआई के नेशनल में ३० बच्चे और सीबीएसई नेशनल में ८० बच्चे अब तक खेल चुके है। श्री चटर्जी कहते है की यदि बच्चो को नियमित प्रैक्टिस उनके मार्गदर्शन में मिले और पेरेंट्स का भी पूरा सहयोग रहे तो कम से कम ४ साल में अंतरास्ट्रीय स्तर के अनुरूप प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी तैयार किया जा सकता है। कोच चटर्जी का डेडिकेशन और फुटबॉल से लगाओ ही है की उनके स्कूल के लगभग हर बच्चो को फुटबॉल खेलने आता है साथ ही प्रत्येक बच्चे ग्राउंड तक आये ये उनका लक्ष्य है। श्री चटर्जी ने बताया की प्रत्येक वर्ष स्कूल की और से समर कैंप का आयोजन भी किया जाता है जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चो को खेल और फुटबॉल के प्रति इंटरैक्ट किया जा सके यह प्रयास किया जाता है। संतोष ट्रॉफी और सुब्रोतो कप जैसे प्रतिष्ठित फुटबॉल के टूर्नामेंट में जिसमे देश के बेहतरीन खिलाड़ी हिस्सा लेते है में हर साल कोच देबानंद चटर्जी के कोचिंग में सीखे खिलाड़ी अपने खेल का जलवा बिखेरते है।