नार्थ ईस्ट इंस्टिट्यूट इतिहास के झरोखे से
बिलासपुर में नार्थ ईस्ट इंस्टिट्यूट किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इंस्टिट्यूट आज खेल प्रेमियों के लिए सर्वसुविधायुक्त परिसर के रूप में जाना जाता है। इंस्टिट्यूट का इतिहास काफी पुराना है। अंग्रेजो के काल खंड १८९० के दौरान बने इस परिसर को तब नार्थ वेस्ट इंस्टिट्यूट के नाम से जाना जाता था। उस समय यह परिसर उनके मनोरंजन के केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जाता था और परिसर की सदस्यता केवल अंग्रेज लोगो को ही दी जाती थी। १९१२ के बाद इस परिसर का उपयोग भारतीय भी करने लगे और इसे नार्थ ईस्ट इंस्टिट्यूट के नाम से जाना जाने लगा। उस समय केवल ग्रंथालय की सुविधा परिसर में थी। १९१७ से यहाँ इंडोर गेम्स खेले जाने लगे जिसमे १९२५ में टेबल टेनिस की सुविधा कर्मचारियों के मनोरंजन और खेल के लिए दी गयी। स्वतंत्रता से पूर्व इंस्टिट्यूट के चुनाव में भारतीयों को जहा प्रतिबन्ध था हिस्सा लेना वही स्वत्नत्रता के बाद सभी कर्मचारीयो को चुनाव लड़ने एवं भाग लेने का अधिकार मिल गया। १९५६ से प्रथम बार जीएम शील्ड फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन इंस्टिट्यूट के फुटबॉल मैदान में शुरू हुआ। यह प्रतियोगिता रनिंग कर्मचारियों के चंदे पर शुरू किया गया था। तत्कालीन समय में इंस्टिट्यूट के उपाध्यक्ष एवं सचिव का पदभार क्रमश एके गुप्ता एवं मार्डीकर जी संभाल रहे थे। जीएम शील्ड की प्रतियोगिता प्रत्येक वर्ष आयोजित होता था जिसमे राष्ट्रीय स्तर के कई जाने माने खिलाड़ियों ने अपने खेल कला का कौशल इस मैदान में बिखेरा । १९८७ तक यह प्रतियोगिता आयोजित होती रही उसके बाद खर्चे के हवाले इसे बंद कर दिया गया। २००३ में दक्षिण पूर्व रेलवे के तीन हिस्से में बंटने और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अस्तित्व में आने से परिसर में उतरोक्तर खेल सुविधाओं का विस्तार हुआ जिसमे बास्केट बॉल, वॉली बॉल, लॉन टेनिस , बॉल बैडमिंटन, हैंडबॉल , स्केटिंग, जिम प्रमुख सुविधाओं में शामिल है। एक समय जहा इंस्टिट्यूट केवल मनोरंजन केंद्र हुआ करते थे वह आज सर्वसुविधा सम्पन्न खेल परिसर बन चूका है।