प्रैक्टिस के लिए पुल को तरसते तैराक
भारत को तैराकी में अंतरास्ट्रीय स्तर पर मैडल दिलाने के सपनो को संजोये शहर के तैराक एवं नेशनल मैडल होल्डर अजिंक्य सिंह बैक स्ट्रोक और बटरफ्लाई दोनों के शानदार खिलाड़ी है। १५ साल की अजिंक्य कक्षा १० वी की क्षात्रा है। २०१७ से लगातार तैराकी के ओपन में जूनियर, सब जूनियर, सीनियर केटेगरी और एसजीएफआई के प्रतियोगिताओ में अपने बेहतरीन खेल के बुते मैडल जीतती आयी है। इसके अतिरिक्त सीबीएसई की जोनल स्तरीय और डीपीएस नेशनल में भी इंडिविजुअल चैंपियंस रह चुकी है। अजिंक्य ने अब तक ४० गोल्ड और ९ सिल्वर मैडल जीत चुकी है। २०१९-२० में लगातार कंसिस्टेंट पर्फोमन्स देने की वजह से अजिंक्य देश की उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शुमार हुई जिन्हे साई द्वारा एडवांस ट्रेनिंग के लिए बैंगलोर के डॉलफिन अकादमी में चयन किया गया था। ज्ञात हो इस प्रकार के चयन के लिए पुरे देश से ६० से ६५ खिलड़ियों को ही ऐसा मौका मिल पाता है। कोरोना ने जहा आम लोगो को परेशान किया उसके साथ ही अजिंक्य जैसे परफार्मिंग खिलाड़ियों के सारे सपनो को जैसे छीन सा लिया। कोरोना के बढ़ते मामलो की ही वजह से अजिंक्य एडवांस ट्रेनिंग को पूरा नहीं कर पायी। अजिंक्य के माता पिता अपनी बेटी को उसके सपनो को पूरा करने के लिए बिना हिम्मत हारे इस बात की उम्मीद में है की स्थिति जल्द सामान्य हो और फिर उनकी बेटी पुल में अपने खेल को आगे बढ़ाए। इस सम्बन्ध में जब हमारी बात उनके पिता सुनील सिंह से हुई तो उन्होंने बताया की २ सालो से प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं मिल पाने की वजह से फिटनेस काफी प्रभावित हुआ है। आज अजिंक्य जैसे खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए पुल की बेहद आवश्यकता है लेकिन कोई भी पुल प्रैक्टिस के लिए उपलब्ध न होने से खिलाड़ी बेहद मायूस होते जा रहे है।
अजिंक्य का भी मानना है की पुल को राष्ट्रीय स्तर के खिलड़ियों को निर्धारित प्रोटोकॉल में खोलना चाहिए। शहर में २ पचास मीटर के स्विमिंग पुल है लेकिन दोनों बंद है। स्विमिंग में सालो की मेहनत और डेडिकेशन से खिलाड़ी उस फिटनेस और गति को गेन करते है जिससे शहर प्रदेश एवं देश के लिए मैडल लाने के सपने सच लगने लगते है ऐसे में यदि इतने लम्बे समय तक उन्हें खेलने को ही नहीं मिलेगा तो उनके टैलेंट के साथ बेहद अन्याय होगा। खिलड़ियों के हित को ध्यान में रखकर प्रयास होने चाहिए। तैराकी में जितना फिजिकल फिटनेस मायने रखता है उससे ज्यादा मेंटली स्ट्रांग होना भी जरूरी है उम्मीद है जल्द हालत सामन्य होंगे और पुल को फिर से खिलाड़ियों के लिए खोला जायेगा जिससे अजिंक्य जैसे खिलाड़ी जो सालो से तैराकी में अपना १०० परसेंट देते आये है फिर वही एनर्जी के साथ दुबारा पुल में अपना जलवा बिखेर पाएंगे। अजिंक्य ने अब तक अपनी ट्रेनिंग कोच संतोष पाल की निगरानी और मागदर्शन में किये है।