कोविड ने रोकी तैराको की गति
कोरोना के वजह से लगभग हर खेल में खिलाड़िओ को मैदान से दूर होना पड़ा लेकिन तैराको को कोरोना ने सबसे ज्यादा परेशान किया। बिना पूल में उतरे तैराकी संभव नहीं है। शहर में आज कई होनहार तैराक है जो हालत के सही होने एवं नियमित पूल में अभ्यास कर सके के इंतज़ार में है। कोरोना से उपजे हालात में किस प्रकार खिलाड़िओ पर असर पड़ा इस सम्बन्ध में हमने शहर की होनहार खिलाडी साथ ही २०१२ से २०१९ तक लगातार नेशनल खेल चुकी अन्वेषा पराशर से बात की। बातचीत में अन्वेषा ने बताया की साल २०१९ तक नियमित प्रतिदिन ४ से ५ घंटे जहा प्रैक्टिस हुआ करता था कोविड के आने के बाद लगभग सबकुछ बंद हो गया। फिटनेस के लिए केवल घर पर ही फिजिकल एक्सरसाइज ही किया करते थे जो की काफी नहीं था एवं कही न कही एक खिलाड़ी के तौर पर बहुत फ़्रस्ट्रेटिंग समय था। पूल का लगातार बंद रहना एवं सभी स्तर पर ट्रायल एवं प्रतियोगिताओ का न होना खेल और खिलाड़ी के लिए निश्चित तौर पर काफी निराशाजनक होता है। ब्रैस्ट स्ट्रोक और फ्री स्टाइल की बहुत अच्छी तैराक अन्वेषा आज आगे की पढाई को विशेष ध्यान दे रही है एवं सीए की तैयारी कर रही है। अन्वेषा ने प्रारंभिक कोचिंग स्विमिंग की संजय तरन पुष्कर में कोच बद्री गुर्जर एवं सतीश ठाकुर के मार्गदर्शन में लिया साथ ही प्रशिक्षक सतोष पाल से भी आपने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कोरोना ने ऐसे कई लक्ष्य को धूमिल कर दिया है जो एक खिलाड़ी आपने लिए टारगेट सेट करते है उम्मीद किया जा सकता है की आगे जल्द हालात सामन्य हो और खिलड़िओ को आपने मैदान में वापसी के लिए ज्यादा इंतज़ार न करना पड़े।