ग्रास रूट लेवल पर फुटबॉल में काम करने की जरूरत
फुटबॉल एक्सपर्ट एवं कोचिंग गुरु शांतनु घोष एक परिचय
भारतीय रेलवे में सेवाएं दे रहे शांतनु घोष सन 1997 से फुटबॉल में खिलाड़िओ को प्रशिक्षण देते आ रहे है। श्री घोष एनआईएस कोच
होने के साथ ही आल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (सब बॉडी ऑफ़ एशियाई फुटबॉल फेडरेशन) से “ऐ ” लाइसेंस होल्डर है।
पुरे मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में श्री घोष एकमात्र कोच है जिनके पास ऐ लाइसेंस है। कोचिंग के अपने दो दशकों के लम्बे अनुभवो को
साझा करते हुए आपने बताया की 2019 में आल वर्ल्ड रेलवेज फुटबॉल चैंपियनशिप में भारतीय रेलवे का कोच बनकर फ्रांस जाने का
अवसर मिला जहा फ्रांस जैसे प्रोफेशनल फुटबॉल खेलने वाले देश के खिलाड़िओ से रूबरू होने एवं खेल की बारीकियों को देखने एवं
समझने का मौका मिला। भारत कब उस रैंकिंग तक पहुंचेगा जिससे भारतीय खिलाड़िओ को हमे भी वर्ल्ड कप में खेलते हुए देखने का
अवसर मिले के सवाल पर उनका कहना था की फुटबल में 200 से ज्यादा देश खेलते है जिसमे ज्यादातर यूरोपियन और साउथ अमेरिकन
देशो का दबदबा है लेकिन बीते कुछ समय में भारत ने भी अच्छे खिलाड़ी दिए है और फीफा की रैंकिंग में भी भारत का सुधार हुआ है
लेकिन अभी और प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। श्री घोष कहते है की ग्रास रुट लेवल से फुटबॉल में काम करने की जरूरत है
जिससे कम उम्र के बच्चे फुटबॉल से जुड़े और प्रोफेशनल खिलाड़ी तैयार हो सके। संतोष ट्रॉफी जैसे सम्मानित फुटबॉल टूर्नामेंट में 6 बार
कोच के तौर पर शांतनु घोष सेवाएं दे चुके है। भारतीय रेलवे के सीनियर टीम के सिलेक्टर होने के साथ ही अंडर 14/16/ और 18 के
लिए भी सन 2015 से 2018 के बीच इंडियन टीम का सिलेक्शन श्री घोष कर चुके है। 2017 में भारत में आयोजित हुए अंडर 17 वर्ल्ड
कप में भी श्री घोष छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के लिए स्पॉटर रह चुके है। शांतनु घोष के इस लम्बे कोचिंग करियर में भारतीय फुटबॉल में
बहुत कुछ बदला है जहा प्रोफेशनल फुटबॉल आईएसएल और आई लीग खेले जा रहे है वही काफी बेहतरीन खिलाड़ी भी भारतीय
फुटबॉल में आज देखने को मिल रहे है। शांतनु घोष का फुटबॉल के प्रति लगाव ही रहा है की चकाचौंध से दूर उन्होंने हमेशा फुटबॉल
को खेला और सिखाया या यु कह सकते है की जिया। आज भी श्री घोष बिना थके फुटबॉल के लिए समर्पित भाव से काम कर रहे है।
Excellent start. Keep going & cover maximum games.